शायरी–
शेर-शायरी:-
जीवन-नृत्य,आभास और लेखन,
गर जिंदगी तुझे ..मुझसे प्यार नहीं,
तो देखकर मुस्करा ..क्यों देती हो,
हर पल जीना सिखाती हो,
इतना ऐतबार मुझ पर क्यों करती हो,
झंझटों में पली-बढ़ी है जिंदगी,
जाने कैसे ? उभार देती हो,
मिल जाते है इशारे हर बुरे वक्त में,
परख सक्षमता की परख के खातिर,
भूला दे बुरे स्वप्न जो तूने देखे है,
वो मेरा अंत है जिसे मौत कहते है,
सजी है सजावट महेंद्र उसी कलम से,
जिस लेखन में अक्सर लोग …..
फेल हो जाते है,