शायरी
१.
आज चाँदनी सहमी सहमी सा क्यूँ है,
शमा फिजा की ठहरी ठहरी सी क्यूँ है,
नया यार मिला तुझे जो अजीज मेरा था ऐ रक़ीब,
शायद पलकों पर इसीलिए नमी नमी सी है।
२.
उसने कहा शहर मे धुन्ध की खुमारी
मौसम की लापरवाही है,
कैसे कहूँ ये गुस्ताखी मौसम की नहीं
मेरे शुष्क चेहरे की गवाही है।