शायरी
चन्द लफ़्ज़ों में बयां कर दिया
क्या यह काफी नहीं समझने को
फिर भी रोजाना यूं पूछते हो
की अपने ख्यालात तो फरमाओ हमें !!
इस जीवन में अगर
कुछ दे सकूं समाज को
तो शायद खुद को अच्छा लगेगा
पहले चलता था में अकेला
अब आप का साथ अच्छा लगेगा !!
चन्द लफ़्ज़ों में बयां कर दिया
क्या यह काफी नहीं समझने को
फिर भी रोजाना यूं पूछते हो
की अपने ख्यालात तो फरमाओ हमें !!
इस जीवन में अगर
कुछ दे सकूं समाज को
तो शायद खुद को अच्छा लगेगा
पहले चलता था में अकेला
अब आप का साथ अच्छा लगेगा !!