शायरी
जी न पाओगी तुम मेरे बिना ध्यान रखना
रोज रोज मुझे याद न किया करो तुम ऐसे
बड़ा ही बेदर्द है इतना लगाव रखना
दिल को समझा लो, वरना परेशां रहोगी ऐसे !!
सलीके से आना अगर आना हो मेरी जिन्दगी में
मैने पहले ही बहुत से जख्म खाए हैं यहाँ दुनिया से
कुरेदने को तो कारवां चला आता है तनहा करने
जख्म पर मलहम लगाने वाले को तलाश रहा हूँ !!
अजीत तलवार
मेरठ