शायरी
यूं अधूरा सा हर ख्वाब, हर फसाना लगे।
उनसे बिछड़े हुए अब तो, एक जमाना लगे।।
न दिल में है कोई ख्वाहिश, ना कोई तमन्ना।
किसी जलते हुए घर में,अपना आशियाना लगे।।
@सर्वाधिकार सुरक्षित
डॉ मनीष सिंह राजवंशी
यूं अधूरा सा हर ख्वाब, हर फसाना लगे।
उनसे बिछड़े हुए अब तो, एक जमाना लगे।।
न दिल में है कोई ख्वाहिश, ना कोई तमन्ना।
किसी जलते हुए घर में,अपना आशियाना लगे।।
@सर्वाधिकार सुरक्षित
डॉ मनीष सिंह राजवंशी