शायरी
ये महफ़िल ये गुलिस्तां हर निगाहें मुझे ढुंढेगी
इन वादियों को जोड़ो जनाव हवा भी मेरा पता पुछेगी
अभी तो मौसम को करवटें बदलना है
हर लम्हें मेरा अफसाना शौक से सुनाएंगी
रौशन राय के कलम से
9515651283/
7859042461
ये महफ़िल ये गुलिस्तां हर निगाहें मुझे ढुंढेगी
इन वादियों को जोड़ो जनाव हवा भी मेरा पता पुछेगी
अभी तो मौसम को करवटें बदलना है
हर लम्हें मेरा अफसाना शौक से सुनाएंगी
रौशन राय के कलम से
9515651283/
7859042461