शायरी
तेरी यादो को सीने से लगा के, जी लेते हैं
जख्म जो दिए थे, उन को सहजा लेते हैं
गम को बना के सहारा अपनी जिन्दगी का
हम तो फिर से तुझी को याद कर लेते हैं !!
गम का सहारा मिला तो जीने का अंदाज बदल गया
हम को तो तेरी हर बात का अब इशारा ही मिल गया
रुखसत होती हुई इस शाम में ओ बेदर्द मेरे यार
किये हुए वादे निभाने का तेरा अब अंदाज बदल गया !!
अजीत