— शायरी —
?अभी तो तुमको देखना है मेरी मौत का मंजर,?
अभी से क्यूँ डगमगाने लगे हो, ?
जश्न की वो रात होगी तुम्हारी,
जिस दिन में जाऊँगा कब्र के अंदर,?
सारी बाधा तुम्हारी राह की खत्म हो जायेगी, ?
और सारा सकून तब मिलेगा तुम्हारे दिल के अंदर ?
अजीत कुमार तलवार
मेरठ