शायरी – रौशन राय के कलम से
कहां लगी ये दिल भी, अंजाने में मोहब्बत घमासान हो गया
मोहब्बत एक तरफा ही सही, फिर भी आशीको में अपना नाम हो गया।
वो कभी सोची नहीं होगी, मेरे प्यार के बारे में
इसीलिए तो मैं अपनों में खुब बदनाम हो गया
रौशन राय के कलम से
कितनी वेमुरब्बत थी वो मेरी छोटी सी भुल को गुनाह मान बैठी
मैं अपने अल्फाज़ में उन्हें कहना कुछ और चाह रहा था पर वो कुछ और समझ बैठी
उन से शिकायत क्या मैं करता, क्योंकि वो मेरी मोहब्बत थी
दिलों जान से मरते हैं हम उनपर, इसलिए वो हमें प्यार में अंजान मान बैठी
रौशन राय के कलम से