शायरी का मतलब
अगर ज़ुल्मत में ये
शरारा न बन सकें!
अगर ग़फ़लत में ये
इशारा न बन सकें!!
तो मेरे शेरों को तुम
कचरे में फेंक देना!
अगर मुसीबत में ये
सहारा न बन सकें!!
Shekhar Chandra Mitra
अगर ज़ुल्मत में ये
शरारा न बन सकें!
अगर ग़फ़लत में ये
इशारा न बन सकें!!
तो मेरे शेरों को तुम
कचरे में फेंक देना!
अगर मुसीबत में ये
सहारा न बन सकें!!
Shekhar Chandra Mitra