शाम होने को आयीं है।।
चलो अब घर चलें शाम होने को आई है
सूरज चला गया अपने घर
चांदनी आसमान में जगमगाई है
चलो अब घर चलें शाम होने को आई है।
यू ना जाओ रूठ के चलो हमारे साथ
कहो तुम कुछ,और मेरी सुनो बात
चेहरा तुम्हारा चमक रहा है।
क्या तुम शीशे की बनी हो
मैं नहीं वह कह रहा
तुम सुंदरता की धनी हो
मुस्कुराती हो जब तुम ख़ुमार सा छा जाता है
ना हटाओ चेहरे से पर्दा चांद भी शर्माता है
ना जाने तू क्यों आज मेरे मन को भाई है।
चलो अब घर चलें शाम होने को आई है।।।