शादी
रीता उठी तो उसकी गुलाबी कुरती पर खून के धब्बे थे । हाल में उनके तीन करीबी मित्र और उनकी पत्नियां बैठी थी , सबने देख लिया , और उसके पति महेंद्र का मुँह शर्म से लाल हो गया ।
रीता की सहेली महिमा ने रीता को आँख से इशारा किया और वे दोनों भीतर चली गई, कुछ देर बाद जब वह दोनों बाहर आई तो रीता ने हरे रंग की कुरती पहनी हुई थी , सबने देखा और अनदेखा कर दिया ।
रात को जब महेंद्र और रीता अकेले थे तो , महेंद्र ने कहा ,
“ आज तुम्हारी लापरवाही की वजह से मेरी गर्दन शर्म से झुक गई ।”
“ लापरवाही कैसी, खाना तो सबको बहुत पसंद आया , सब कुछ समय से हुआ , बातचीत भी अच्छी रही ।” रीता ने आश्चर्य से कहा ।
महेंद्र का ग़ुस्सा और बड़ गया , “ यानि की तुम्हें पता ही नहीं , तुमने क्या किया है ।”
“ नहीं, तुम किस बारे में बात कर रहे हो ?” रीता एकदम कन्फयूजड थी ।
“ तुम्हारी कुरती पर जो दाग लगे थे , उसका क्या?” महेंद्र ने एकदम ग़ुस्से में उसकी आँख में देखते हुए कहा ।
“ हाँ । मुझे बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था ।” और रीता मुस्करा दी ।
महेंद्र को समझ नहीं आ रहा था , इतनी स्पष्ट सी बात रीता को समझ क्यों नहीं आ रही । उसने फिर कोशिश की ,
“ मुझे इस तरह का व्यवहार बिल्कुल पसंद नही ।”
“ यह व्यवहार नहीं घटना थी , जो हो गई, और मुझे इसमें कोई शर्म महसूस नहीं हो रही, यह मैंने चुना नही , यह मेरे शरीर की भाषा थी , जिसे मैं सुन नहीं पाई , पुरूष जब सड़क पर पेशाब करते हैं , वह चुनाव करते हैं , और हम औरतें फिर भी कुछ नहीं कहती , बस सफ़ाई चाहती हैं । “ रीता ने दृढ़ता से कहा ।
महेंद्र समझ गया, यह लड़ाई वह हार जायेगा , यदि उसने अगले एक मिनट में कोई शक्तिशाली तर्क नहीं रखा तो ।
“ मैं मानता हूँ वह ग़लत है , पर शिष्टता भी एक चीज़ होती है , और मैं चाहता हूं मेरी पत्नी शिष्ट हो ।”
“ यदि तुम्हारी नज़र में यह अशिष्टता है तो तुम्हें मुझे अपनी पत्नी मानने की कोई ज़रूरत नहीं ।” रीता की सास अब तेज़ी से चल रही थी ।
“ यानि ?”
“ यानि , मेरी नज़र में शिष्ट व्यवहार है , एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना , और तुम यहाँ पूरी औरत जाति की बायलोजी का अपमान कर रहे हो । “ रीता की आँखों में फिर से दृढ़ता थी ।
महेंद्र चुप हो गया , पर उसे उस रात यह समझ आ गया कि उसका वैवाहिक जीवन उसके पापा के वैवाहिक जीवन से अलग होगा । यह अग्नि परीक्षा सिर्फ़ सीता की नहीं , राम की भी होगी ।
सुबह उठा तो उसने रीता को नई नज़र से देखा और उसे अच्छा लगा , अपने अंदर एक नई ताक़त महसूस हुई, एक नया जुड़ाव महसूस हुआ ।
आफ़िस जाते हुए उसे खुद पर ही यह सोचकर हंसी आ गई कि वह रात को किस बात पर लड़ाई कर रहा था , मैमल की स्त्री जाति के लिए जो प्राकृतिक है , वह उस पर कैसे शर्मिंदा हो सकता है , यह तो उत्सव की चीज़ है ! उसने रीता को फ़ोन किया,
“ कैसी हो ।”
“ ठीक हूँ , मुझे क्या हुआ है ?”
“ नहीं, मैं कह रहा था कि यदि तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है तो आज घर पर आराम करो ।”
रीता हंस दी,” मुझे आराम की ज़रूरत नहीं , तुम मेरी असुविधा को महसूस कर सकते हो , इतना ही काफ़ी है ।”
“ कर रहा हू , और भी ज़्यादा महसूस करने की कोशिश करूँगा , यह प्राकृतिक प्रक्रिया सिर्फ़ तुम्हारी नहीं , हम दोनों की है । “
रीता हंस दी ।
“ क्या हुआ?” महेंद्र ने कहा ।
“ तुम्हारे इस बात से मेरी आँखें गीली हो रही हैं ।”
महेंद्र बहुत देर तक चुप रहा ।
“ क्या हुआ , कुछ बोल क्यों नहीं रहे ?”
“ कुछ नहीं , शादी के नए अर्थ समझ रहा हूँ ।”
रीता हंस दी ।
“ ठीक है शाम को मिलते हैं ।” रीता ने कहा ।
“ हूँ ।”
दोनों ने फ़ोन रख दिया , दोनों के चेहरे पर मुस्कराहट थी , एक शांति की , सुख की , अपनत्व की ।
—— शशि महाजन