शादी
शादी
शादी बंधन प्रेम का, नहि कोई अनुबंध।
सप्तपदी को जो निभा, जन्म सात तक बंध।
जन्म सात तक बंध,दहेज कलंक समाना।
अबलाएं जल रहीं , नहीं न्यायोचित माना।
कहें प्रेम कवि राय, तीन तलाक के वादी।
औरत को ठुकराय, मान अनुबंधित शादी।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम