शादी सरकारी गठबंधन
*** शादी सरकारी गठबंधन ****
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शादी दो दिलो का निजी बन्धन है
सचमुच लगे सरकारी गठबंधन है
विवाह पूर्व आकर्षक ऐसा है
राजनीति में लालच के जैसा है
कटोरी भरी मलाई की दिखती है
जो करवाती अन्जानों का बंधन है
शादी दो दिलो का निजी बन्धन है
जैसे जैसे नजदीक कदम मिलते
दोनो एक दूसरे जैसे दिखते
दिलों की आहट उन्हें मिलवाती है
कुंडली करवाती अटूट बंधन है
शादी दो दिलों का निजी बन्धन है
पंडित जी सात फेरे करवा जाता
गृहस्थी के झमेले में फंसा जाता
बाद में कहीं नहीं वह नजर आता
नंदिनी का हो जाता फिर नन्दन है
शादी दो दिलों का निजी बन्धन है
शुरुआती दौर मजेदार गुजरते
एक दूसरे को भलिभांति समझते
जब चुन्नू मुन्नू मध्य हैं आ धमकते
गठबन्धन हो जाता लठबन्धन है
शादी दो दिलों का निजी बन्धन है
गृहस्थी दिन में तारे दिखा जाए
वैचारिक मतभेद नजर आ जाएं
मनभेद आ कर दूरियाँ बढा जाए
शुरू हो जाए जीवन में रुधन है
शादी दो दिलो का निजी बन्धन है
बुढापे में जब अकेले बढ़ जाएं
बेटे बीवी बच्चों साथ बंट जाएं
आकर्षक का लट्टू रहे जगता है
जीवनपर्यन्त चलता यह घर्षण है
शादी दो दिलों का निजी बन्धन है
सुखविंद्र बात कहता दिल से भारी
मिल जाए समझदार जीवनसाथी
घर स्वर्गतुल्य समान बन जाता है
फूलों पर भंवरोंं जैसा गुन्जन है
शादी दो दिलों का निजी बन्धन है
शादी दो दलों का निजी बन्धन है
सचमुच लगे सरकारी गठबंधन है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)