Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2024 · 1 min read

शादी वो पिंजरा है जहा पंख कतरने की जरूरत नहीं होती

शादी वो पिंजरा है जहा पंख कतरने की जरूरत नहीं होती
बंदा अपने आप उड़ना भूल जाया करता है

1 Like · 107 Views

You may also like these posts

"लोहा"
Dr. Kishan tandon kranti
बीज निरर्थक रोप मत ! , कविता में संस्कार।
बीज निरर्थक रोप मत ! , कविता में संस्कार।
RAMESH SHARMA
कुछ लोग
कुछ लोग
Shweta Soni
जिसने शौक को दफ़्नाकर अपने आप से समझौता किया है। वह इंसान इस
जिसने शौक को दफ़्नाकर अपने आप से समझौता किया है। वह इंसान इस
Lokesh Sharma
आजादी: एक संघर्ष
आजादी: एक संघर्ष
Pranav raj
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
जो कण कण में हर क्षण मौजूद रहता है उसे कृष्ण कहते है,जो रमा
जो कण कण में हर क्षण मौजूद रहता है उसे कृष्ण कहते है,जो रमा
Rj Anand Prajapati
महाकवि 'भास'
महाकवि 'भास'
Indu Singh
बारिश!
बारिश!
Pradeep Shoree
* मिट जाएंगे फासले *
* मिट जाएंगे फासले *
surenderpal vaidya
अरे मेघ! मेरे दूत बन जाओ
अरे मेघ! मेरे दूत बन जाओ
सोनू हंस
शिकायते बहुत हीं मुझे खुद से ,
शिकायते बहुत हीं मुझे खुद से ,
Manisha Wandhare
3354.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3354.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
इस जनम में तुम्हें भूल पाना मुमकिन नहीं होगा
इस जनम में तुम्हें भूल पाना मुमकिन नहीं होगा
शिव प्रताप लोधी
वक्त नहीं
वक्त नहीं
Vandna Thakur
गर्म दोपहर की ठंढी शाम हो तुम
गर्म दोपहर की ठंढी शाम हो तुम
Rituraj shivem verma
कौन सा हुनर है जिससे मुख़ातिब नही हूं मैं,
कौन सा हुनर है जिससे मुख़ातिब नही हूं मैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गायब हुआ तिरंगा
गायब हुआ तिरंगा
आर एस आघात
छंद
छंद
दीपक झा रुद्रा
****वो जीवन मिले****
****वो जीवन मिले****
Kavita Chouhan
दीप बनकर तुम सदा जलते रहो फिर नहीं होगा तिमिर का भान भी
दीप बनकर तुम सदा जलते रहो फिर नहीं होगा तिमिर का भान भी
Dr Archana Gupta
हरषे धरती बरसे मेघा...
हरषे धरती बरसे मेघा...
Harminder Kaur
आज का इतिहास
आज का इतिहास
Otteri Selvakumar
गुजरे हुए लम्हात को का याद किजिए
गुजरे हुए लम्हात को का याद किजिए
VINOD CHAUHAN
अहमियत
अहमियत
पूर्वार्थ
Poetry Writing Challenge-3 Result
Poetry Writing Challenge-3 Result
Sahityapedia
एक समय था जब शांतिप्रिय समुदाय के लोग घर से पशु, ट्यूवेल से
एक समय था जब शांतिप्रिय समुदाय के लोग घर से पशु, ट्यूवेल से
गुमनाम 'बाबा'
Now we have to introspect how expensive it was to change the
Now we have to introspect how expensive it was to change the
DrLakshman Jha Parimal
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
विकृती
विकृती
Mukund Patil
Loading...