शादी का व्यापार
शादी का व्यपार
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शादी की व्यापार आज कल
चरमोत्कर्ष पे काबिज है ।
चलता फिरता है दूकान यह
कहीं भी आज मुनासिब है ।।
लड़कों की नीलामी होती
सरे आम बाजारों में ।
अच्छे लोग आजकल तो
मिलते हैं एक हजारों में ।।
शादी का व्यपार………………..
कहीं दलालें पान दबाये
भृकुटियाँ चमकाते हैं ।
कहीं शिकंजे कहीं कसौटी
कहीं दाँव दिखलाते हैं ।।
शादी का व्यापार……………….
समझदारी के चोला पहने
कुछ गद्दार भी होते है ।
कुछ मासूम जिंदगी को
नरकों का जीवन देते है ।।
शादी का व्यापार……………
एक साजिश है एक सिस्टम है
जिस घेरे में सब पिसते हैं ।
और जानबूझकर दुनिया में
बच्चों के जीवन घिसते है ।।
शादी का व्यापार………………..
जागो हे युवान देश के
दुष्टों का संहार करो ।
हर घर में रावण बैठा है
उसका तुम निस्तार करो ।।
शादी का व्यापार………………
दुष्कर बंधन तोड़ युवतियाँ
आँख ज़रा अम्बर से मिलाओ ।
इस बेहुद्दी परंपरा को
मिलकर सब अब दूर भगाओ ।।
शादी का व्यापार………………
सामरिक अरुण
देवघर झारखण्ड
15/04/2016