शादी का बवाल
**शादी का बवाल (ग़ज़ल) **
****222 221 211 22****
************************
मन मे शादी का सवाल न आए,
जीवन मे भी ये बवाल न आए।
मन की मरजी मार रहे खाती,
दिल मे ऐसा भी उबाल न आए।
देती हैं जड़ से बदल भर्या वो,
ज्वाला रूपी ये जवाल न आए।
पति बन कर लाज दांव जनाब,
दम मरता हो अस्पताल न आए।
भार्या बीमारी दवा न बनी हैं,
बिन दारू कोई पियाल न आए।
मनसीरत मन में मरे सब स्वप्न,
ख्वाबों में वीरान ख्याल न आए।
************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)