शादियाँ
लोग़ कहते हैं……
जिसकी जहां लिखी होती है,
वहीं होती है शादियां..
जोड़ियां ऊपर ही तय होती हैं,
ऊपर वाला ही तय करता है.!
तो फ़िर #अधिकांशतः ये जोड़ियां …
एक ही जाति
एक ही आयु वर्ग
एक ही आय वर्ग
एक ही क्षेत्र
एक ही राज्य
एक ही देश
…
…
में ही क्यों बनायी जाती हैं……!
और यदि ऊपर वाला ही जोड़ियां बनाता है ..
तो टूटती क्यों हैं, शादियां….
क्या ऊपर वाला लोगों को बाटता है..
या लोग़ ही ऊपरवाले को बाँट दिए हैं..!
क्या ईश्वर क्षेत्रवादी और जातिवादी है….
या फिर….
जातिवादियों ने ही ईश्वर का निर्माण किया है…!
©Veerendra Krishna