मैकदा
खुला मैकदा अर्से के बाद चलो जाम पियें।
फ़क़त दो तीन नहीं आज तो तमाम पियें,
साकी तेरी नज़रों में दिखे मौज खूब पिलाने की,
जाम पे जाम पियें लेकर उसका नाम पियें।
सतीश सृजन, लखनऊ.
खुला मैकदा अर्से के बाद चलो जाम पियें।
फ़क़त दो तीन नहीं आज तो तमाम पियें,
साकी तेरी नज़रों में दिखे मौज खूब पिलाने की,
जाम पे जाम पियें लेकर उसका नाम पियें।
सतीश सृजन, लखनऊ.