शाकाहारी बनो ..
मत बनाओ पेट को अपने ,
मृत बेजुबानों का कब्रिस्तान ।
कैसे तुम उनकी आहोें से ,
रह सकते हो अंजान ।
स्वाद तुम्हारी जुबान का ,
उनकी जिंदगी छीन लेता है ।
स्वाद यदि फल और सब्जियों में लो ,
इसमें तुम्हारा क्या जाता है ?
और भी बहुत सी चीजें है ,
भोजन के विकल्प है बहुत ।
शाकाहारी बनकर तो देखो ,
इसमें आत्मिक सुख है बहुत ।
किसी की जिंदगी छीन कर ,
उसके जिस्म को आहार बनाना ।
तुम्हें इंसान नहीं बनाता ,
क्या जरूरी है तुम्हारा दानव बनना।
वाकई जब तुम मांस भक्षण करते हो ,
इंसान कहीं से भी नहीं दिखते हो ।
लाल लाल आंखों से अंगारे बरसते ,
रक्त पिपासु पूरे चंडाल दिखते हो ।
तुम्हें भगवान ने इस उद्देश्य से ,
तो नही बनाया था।
तुम्हें उसने इन मासूम बेजुबानों का ,
रक्षक बनाया था।
मगर आज रक्षक ही भक्षक बन बैठा,
तो इन निरीह जीवों की पुकार सुनें कौन?
कलयुग की। भयावता का ऐसा है असर ,
इनकी मौन दर्दीली चीखें सुनें कौन ?
मांसाहारी जीव जैसे शेर और चीते ,
अपने लिए भोजन नहीं पका सकते ।
उनकी शारीरिक संरचना ऐसी है ,
वो इंसानों की तरह काम नहीं कर सकते ।
इसीलिए तो मांस खाने का अधिकार ,
भगवान ने केवल वन्य जीवों को दिया ।
और तुम्हारी शारीरिक संरचना के आधार पर ,
उसने शाकाहार भोजन को प्रयुक्त किया ।
अंततः हमारी है इस मनुष्य समाज से विनती ,
कृपया भोले मासूम जीवों की बद्दुआएं न लो ।
जीवन रक्षक बनकर उनसे स्नेह करो, मीत बनाओ ,
मगर अपने सुख हेतु उनके प्राण मत लो ।