शाईलक के भतीजों, धुआँ
“शाईलक के भतीजों”
काली बिल्ली बनकर रास्ता काट लो
बन जाओ बन्दर मेरी रोटियाँ बाँट लो
मर्चेन्ट आफ वेनिस से निकलो शाईलक
आओ मेरी बोटियाँ छाँट लो
तिनका तिनका छीन लो
मेरी मेहनत की कमाई का
खाली कर दो भंडार जो भरने की
कोशिश की मैने अपनी कोख से जायों
को पढा़ने और बढा़ने के लिए
पर
मेरी खुद्दारी की कमाई से
सुदर्शन चक्र रच देश के गद्दारों की
गर्दनें काट लो
अफसोस नहीं होगा तुम्हारे हाथों लुटने का
गर वादा करो और ज़हरीले फणिहरों के
फण छाँट लो।
अपर्णा थपलियाल”रानू
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“धुआँ”
धुआँ हूँ धुआँ मै घनेरा धुआँ हूँ,
कल – कारखानों,गाड़ियों,सिगरेटों की
कोख से पैदा हुआ हूँ,
विधा जानता हूँ अजब और निराली
फेफड़ों की दीवारें पोत करता हूँ काली
टी बी व कैंसर के दिल की दुआ हूँ
धुआँ हूँ धुआँ मैं घनेरा धुआँ हूँ।
अपर्णा. थपलियाल”रानू”