शांत हुँ मैं
अकेला नही एकांत हुँ
विकट परिस्थिति में भी शांत हुँ
मत छेडो तुम सोते हुए शेर को
देर नही लगती गिरने मे रेत के ढेर को
मेरी आग से तु जल जायेगा
दूर हुआ भी तो ताप से पिघल जायेगा
तु गलतफहमी मत रखना कमजोर नही विक्रान्त हुँ
विकट परिस्थिति में भी शांत हुँ अकेला नही एकांत हुँ ।।