शांत सा जीवन
(20)
शांत सा जीवन जी कर देखो।
हंस कर क्रोध को पी कर देखो।।
रब को अपना करके देखो।
उसकी इच्छा से जी कर देखो।।
जीवन कितना शेष है इनमें ।
हर क्षण को तुम जी कर देखो।।
चाहें सुख हो चाहें दुःख हो ।
भाव सभी तुम जी कर देखो।।
हाथ तुम्हारे कुछ आ जाए।
समय के पन्नों को सी कर देखो।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद