” शांत शालीन जैसलमेर “
” शांत शालीन जैसलमेर ”
अठखेलियां करती सूरज की किरणें माटी संग
संध्या और प्रभात की मुस्कुराती सूर्यी लालिमा
मीनू सुनाती जैसलमेर यात्रा का जीवंत वृतांत
चहल पहल फैली हुई बड़ा सुहाना मौसम था,
थार डेजर्ट में बने विभिन्न आलीशान दूधिया टेंट
वेंचुर डेजर्ट कैंप के लग्ज़री कॉटेज का विश्राम
फर्श की जगह फैला नन्हें पत्थरों का जमावड़ा
शब्दों में बयां कैसे करूं देखा जो नजराना था,
चाय पकोड़ी का नाश्ता और रोस्टेड मूंगफली
उपमा की खूसबू बाजरे की खिचड़ी का स्वाद
देशी घी में बने पकवानों की भीनी भीनी महक
मीनू ने परिवार संग जायके का लुत्फ उठाया था,
मैगी का स्वाद बढ़ा प्रभात में अग्नि समक्ष खाकर
रेगिस्थानी जहाज की उतार चढ़ाव वाली सवारी
देखी जब सम मरुस्थल की सांयकालीन सुंदरता
एक पल के लिए लगा जैसे वक्त ठहर सा गया था,
एटीवी बाईक का रोमांच भरा आवागमन राज का
रानू रोमी ने भरी पैरा मोटर व पैरा सैलिंग की उड़ान
मचकती थार में उठाया लचकते धोरों का आनंद
ऐसा लगा मानों कि मरुस्थल में बवंडर आ गया था,
जीरो बॉर्डर से दिखते पाकिस्तानी धरा के खलिहान
वार म्यूजियम और आर्मी पार्क में युद्ध स्थल के टैंक
लोंगेवाला में भारत के आखिरी कैफे की आईसक्रीम
वतन की माटी को फिर हमने वहां गले से लगाया था,
काली माता मंदिर और खंडहर बने मकानी अवशेष
भुतहा गांव कुलधरा का रहस्यमयी वातावरण देखा
राम सा पीर लोकदेवता का लीला घोड़ा देखा हमने
रामदेव जन्म भूमि रामदेवरा का भी भ्रमण किया था,
मंदिर में साक्षी बने फौजीयों द्वारा अवतरित आरती में
तनोट माता मंदिर में रखे गोलों का इतिहास भी जाना
भव्यता समेटे हुए सुंदरता बिखेरता हुआ सोनार किला
स्वर्ण नगरी जैसलमेर का यह सिरमौर जो बन गया था,
घूमने फिरने को अनगिनत स्थान और विभिन्न बाजार
हस्तकला को जिंदा रखते थैले, वस्त्र और अन्य सामान
भिन्न संस्कृति की झलक व धोरों में जैसलमेरी पकवान
वापसी का दिन आया तो पूनिया परिवार नम हो गया था।
Dr Meenu Poonia