शांत मन भाव से बैठा हुआ है बावरिया
शांत मन भाव से बैठा हुआ है बावरिया,
यादों के हर पल से खोज रहा जोगनिया ।
सूर्य ने ओढ़ रखा है धुंध की सफ़ेद चादर,
कड़कती ठण्ड में बारिशों ने ली आहट ।
आती जाती साँसें धड़कनो के संग बैठ,
ख़ामोशी से सुनती कदमों के बजने को।
शीतल लहर पवन की खीचती है चादर,
एहसास गले लगाने की अलाव-सी गर्मी।
हर सफर जीवन का बर्फ-सा ठहरा पानी,
निगाहें इन्तजार में पथरीली हुई आँखे ।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।