शांति अमृत
शांति अमृत की धारा है,
धारण करें जो वह प्यारा है।
शांति से एक पल में बात बने,
सुखी मार्ग जीवन में ढले।।…(१)
शांति मन में ही होती है,
सुगन्धित करती है हृदय को सदा।
शांति मन से कार्य जो बने,
प्रफुल्लित करती है औरोंं को सदा।।….(२)
शांति जहांँ है हिंसा न बसा,
अहिंसा शांति का मूल है।
शांति से जो पथ है बना,
करुणा अहिंसा से है भरा।।….(३)
शांति क्रोध का विनाश है,
जल से बुझे जैसे आग है।
शांति मिले न जिसको,
क्रोध से होता खाक है।।….(४)
शांति शांति जो कहे,
ऐसे न मिले कहीं शांति।
शांति अपने अंदर की उपज है,
अंदर मन में जो ढूंढें सो पाये।।…..(५)
रचनाकार ✍🏼✍🏼
बुद्ध प्रकाश
मौदहा
हमीरपुर।