शह
कोई शह दे देता है अपने पंखों की उड़ान को ।
तो कोई हवा देता है उस आसमान को।।
बना कर खुद को अलग अपने सलीकों से।
रंग देता है फिर से उस आसमान को।।
कोई शह दे देता है अपने पंखों की उड़ान को ।
तो कोई हवा देता है उस आसमान को।।
बना कर खुद को अलग अपने सलीकों से।
रंग देता है फिर से उस आसमान को।।