शहीद
शहीद शहादत से पहले कहाँ – कहाँ न ठहरा।
शहीद की उड़ान के आगे ये आसमां न ठहरा।
गोली सीने पे खाते रहे और लहू से जय हिंद
निकला,
शहीदों के सामने फिरंगियों का कारवाँ न ठहरा।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
शहीद शहादत से पहले कहाँ – कहाँ न ठहरा।
शहीद की उड़ान के आगे ये आसमां न ठहरा।
गोली सीने पे खाते रहे और लहू से जय हिंद
निकला,
शहीदों के सामने फिरंगियों का कारवाँ न ठहरा।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी