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16 Feb 2019 · 1 min read

शहीद की पत्नी

शहीद की पत्नी

हाथों में कंगन बिखर गई
माथे की बिंदिया उतर गई
बहते नीर नयनो से थिरकते
चहरे से मुस्कान उतर गई ।

इंतजार में पलके बिछती थी
ख्वाबों में प्रीत महकती थी
कब आए मेरे प्रियवर ,,,
मिलने को बांहे तरसती थी ।

कब आएंगे मुनियाँ के पापा
जो लेकर गोदी में सुलाएगे
खेलते रहे स्वयं बारूदों में
होली में रंगों से हमे खिलाएगे।

उड़ गए अब वो चीथड़ों में
लदा कफन पर लाल रँगा,
मेरे बच्चे सदा अमर रहना
पुकारे भारती लहराए तिरंगा ।

??✍प्रवीण शर्मा ताल

Language: Hindi
1 Like · 238 Views
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