शहीद की पत्नि की मन की पीड़ा –आर के रस्तोगी
मै करती हूँ नमन,
मेरे भीगे है नयन,
तुम कहाँ खो गये ?
मुझ को रुलाकर,
देश को जगा कर,
तुम कहाँ सो गये ?
देश पर हो के कुर्बान,
मेरे बन के मेहरबान,
अब तुम कहाँ चले गये ?
नहा कर ये गंगा
ओढ़ कर ये तिरंगा
अब तुम कहाँ लुप्त हो गये ?
मुझे चुनरी उढा कर
अपनी दुल्हन बना कर
मांग में सिन्दूर भर कर
अब तुम कहाँ चले गये ?
शहीद पति का उत्तर :-
मै मरा तो नहीं हूँ
अम्रर हो गया हूँ मै
सबके दिलो में बस गया हूँ मै
मै गया तो नहीं हूँ
सबके साथ तो हूँ मै
सबकी आँखों में बस गया हूँ मै
मै सोया तो नहीं हूँ
जगा तो हूँ मै यहाँ,
सबके नारे तो सुन रहा हूँ
मै झूठ बोलता तो नहीं मै
सब सच बोलता हूँ मै
कंधो पर चढ़कर जा रहा हूँ मै