शहीद की आत्मा
शहीद हुआ तो बदनाम किया,
ये वतन बदन तेरे नाम किया,
खून इस बात से खौला नहीं,
जमीं के नाम से कुर्बान किया,
मज़म्मत जो भी कोई गम नहीं,
कफ़न बांध के सरेआम किया,
लहू की इबादत हो या न हो,
जहां को नहीं तो नीलाम किया,
शहादत का इरादा किया खुद,
नाम भले मेरा गुमनाम किया,
माँ एक दिन मुझसे बोल उठी,
फ़क्र है बेटा मेरा नाम किया,