शहीदो तुम को मेरा नमन
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शहीदोंतुमको मेरा नमन
ज्ञात और अज्ञात शहीदोंतुमको मेरा नमन,
साथियो तुमको मेरा नमन
|न्योछावर हो गये देश पर,
अर्पणकर तन मन,
तुमने सच्चे मन से माना भारत माता,
अन्त समय तक तुमने रक्खा उससे नाता,
प्राणो का उत्सर्ग सहज हीपाला ऐसा प्रण।
निभाया, तुमने दिया वचन।शहीदों, तुमको मेरा नमन l
तिलक लगा कर माता ने भेजा था रण में,
बहिनों ने राखी बाँधी तुमको सावन में l
भारत की रक्षा करना है,माँ का यही कथन ,
शहीदो तुमको मेरा नमन l
दे कर के सौभाग्य तिलक पत्नी ने भेजा,
रक्षा का ही भार स्वयम ही तुम्हे सहेजा l
भारत की रक्षा को करते ,होम दिया योवन ,
,शहीदो तुमको मेरा नमन l
था स्वदेश से प्रेम, उसी हित डंडे खाये,
सहीं यातनाएं फिर भी कब घवडाये l
मातभूमि की रक्षा के हित,तोड़ दिये बन्धन,
शहीदो तुमको मेरा नमन l
श्रृद्धांजलि अर्पित करते भारत के जन जन,
आज तुम्हारे ही कारण से मिला हमे जीवन l
समर्पित तुमको श्रद्धा सुमन ,
शहीदो तुमको मेरा नमन l
डा० हरिमोहन गुप्त के साथ डा० लाल जी सहाय