शहीदों के लिए (कविता)
दोहे (मात्रा भार 13-11)
राजगुरू सुखदेव जी, भगत सिंह सरदार।
फाँसी फंदा से कहें, मरें वतन पर यार।।
फंदा वीरों से डरा, करता यह मनुहार।
मृत्यु तुमसे डर रही, अमर हुए तुम यार।।
हँसते-हँसते दे गए, प्राणों का बलिदान।।
इतिहासों को छानती, गौरों की संतान।।
धरती पर पैदा हुए , भारत माँ की शान।
खा-पीकर खेलें नही, बचपन किया महान।।
रोता है दिल का लहू , कर-कर तुमको याद।
इंकलाब के घोष से, देश किया आज़ाद।।
©दुष्यन्त ‘बाबा’