शहीदों की कुर्बानी
**शहीदों की कुर्बानी (देशभक्ति गीत)***
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आओ याद करें हम शहीदों की कुर्बानी,
हुआ नहीं है उन जैसा कोई भी बलिदानी।
सरदार भगत सिंह सिंह जैसे था दहाड़ा,
फिरंगियों का भारत में उल्टा पढ़ा पहाड़ा,
राजगुरू-सुखदेव संग फाँसी मिली निशानी।
हुआ नहीं है उन जैसा कोई भी बलिदानी।
सरदार उधम सिंह ने भी था उधम मचाया,
जुल्मी जनरल डायर गोली से मार गिराया,
फाँसी के फंदे को चूमा न उन जैसा सानी।
हुआ नहीं है उन जैसा कोई भी बलिदानी।
सुभाष चन्द्र बोस फौलादी इंसान थे ठोस,
आज़ाद हिंद फौज बनाई उड़े अंग्रेजी होश,
खून के बदले आज़ादी देने की बात ठानी।
हुआ नही है उन जैसा कोई भी बलिदानी।
झांसी की रानी लक्ष्मी की थके कर बड़ाई,
तांत्या टोपे जैसा न था कोई बहादुर भाई,
गोरों की गोली की भाषा भी नहीं थी मानी।
हुआ नहीं है उन जैसा कोई भी बलिदानी।
अंग्रजों ने था डाल लिया चारों तरफ घेरा,
चन्द्रशेखर आज़ाद ने तब भी छोड़ा न डेरा,
खुद को गोली मारी पर हार नहीं थी मानी।
हुआ नहीं है उन जैसा कोई भी बलिदानी।
खेड़ी वाले मनसीरत को याद सभी परवाने,
हंसते हुए सूली झूले थे आज़ादी के दीवाने।
झुके नहीं रुके नहीं इरादे उनके थे बर्फानी।
हुआ नही है उन जैसा कोई भी बलिदानी।
आओ याद करें हम शहीदों की कुर्बानी,
हुआ नही है उन जैसा कोई भी बलिदानी।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)