Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Mar 2017 · 2 min read

शहीदे आज़म भगत सिंह

शहीदे आज़म – भगत सिंह
आओ याद करें आज़ादी के दीवानों को,
आओ याद करें उन जिंदादिल इंसानों को,
मिट्टी की खातिर जो गुरूब हुए,
आओ याद करें उन बड़े कलेजे वालों को..

27 सितम्बर को जन्मे शहीदे आज़म सन 1907 का साल था…
एक अजब जुनून था शहीदे आज़म में,
बचपन से ही उनके खून में उबाल था…

पैदा हुआ जो अंग्रेजों की बरबादी के लिए,
स्वतंत्रता को दुल्हन माना शादी के लिए,
भगत सिंह उनमें से एक थे, ज़िन्दगी जिनकी वक्फ बन गई,
हिंदुस्तान की आज़ादी के लिए..

लड़ाई पेट की भूख की नहीं, राज्य सता का सवाल था…
एक अजब जुनून था शहीदे आज़म में,
बचपन से ही उनके खून में उबाल था…

जिसने पूरे दिलो-जाँ से मिट्टी चाही,
हिंद आज़ाद करने में भूमिका अहम् निभाई,
मिले कुछ ऐसे खरीददार अंग्रेजों को,
उनकी बसी बसाई दुकानदारी उखड़ती नज़र आई…

अगर गाँधी जी जीने की कला में अव्वल थे,
तो इनका मरने की कला में धमाल था,
एक अजब जुनून था शहीदे आज़म में,
बचपन से ही उनके खून में उबाल था…

प्यासा ही कीमत जान सकता है पानी की,
पूजा शहीदे आज़म ने धरती माँ को न इबादत की भवानी की,
हर शख्स जानता है की क्या होती है यौवन की लहर,
पर इन्होंने मौजें कुर्बान की जवानी की..

देश की खातिर बाल कटवाना तो क्या,
गर्दन कटवाने के लिए भी तैयार था…
एक अजब जुनून था शहीदे आज़म में,
बचपन से ही उनके खून में उबाल था…

भगत सिंह और दत्ता का मकसद हिंसा नहीं अहिंसा से जीत जाना था,
बम फेंकना अंग्रेज़ी हुकूमत को भागना था,
बहरों को कहाँ सुनाई देते बम के धमाके,
ये सब तो भैंस के आगे बीन बजाना था..

जेल की कोठरी भी पुस्तकालय बन गया,
यह सच में बेमिसाल था…
एक अजब जुनून था शहीदे आज़म में,
बचपन से ही उनके खून में उबाल था…

शहीदे-आज़म की दीवानगी देख अंग्रेज़ भी सिहर गए,
मांसाहारी अंग्रेज़ हिंदुस्तान आदिम को चारा समझ चर गए,
अभी तो आये ही कहाँ थे ज़िन्दगी शुरुआत करने के दिन,
वक्त से पहले ही ये ज़िन्दगी मौत के हवाले कर गए..

सनसनाती हवाओं ने बयां किया कि खुदगर्जों के दिल में मलाल था…
एक अजब जुनून था शहीदे आज़म में,
बचपन से ही उनके खून में उबाल था…

सरदार भगत सिंह की जीवनी सुन्दरता की एक मूरत है,
उनके जीवन का हर पहलू कबूलसूरत है,
इरादा पक्का हो तो मिल जाती है मंजिलें,
भ्रष्टाचार, आतंकवाद मिटाने के लिए,
आज भी एक शहीदे आज़म की ज़रुरत है…..

कवि:- सुशील भारती, नित्थर, कुल्लू (हि.प्र.)

Language: Hindi
299 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुशील भारती
View all
You may also like:
मौसम तुझको देखते ,
मौसम तुझको देखते ,
sushil sarna
प्रीत
प्रीत
Annu Gurjar
हकीकत की जमीं पर हूँ
हकीकत की जमीं पर हूँ
VINOD CHAUHAN
छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना
छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना
gurudeenverma198
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सदैव मेहनत करके ही आगे बढ़ें,
सदैव मेहनत करके ही आगे बढ़ें,
Ajit Kumar "Karn"
झूठे लोग सबसे अच्छा होने का नाटक ज्यादा करते हैंl
झूठे लोग सबसे अच्छा होने का नाटक ज्यादा करते हैंl
Ranjeet kumar patre
"नकल"
Dr. Kishan tandon kranti
भजन- सपने में श्याम मेरे आया है
भजन- सपने में श्याम मेरे आया है
अरविंद भारद्वाज
गुरू
गुरू
Shinde Poonam
जीवनचक्र
जीवनचक्र
Sonam Puneet Dubey
गीत
गीत
Shweta Soni
खूब ठहाके लगा के बन्दे
खूब ठहाके लगा के बन्दे
Akash Yadav
🙅अचूक नुस्खा🙅
🙅अचूक नुस्खा🙅
*प्रणय*
जिन्दगी में फैंसले और फ़ासले सोच समझ कर कीजिएगा !!
जिन्दगी में फैंसले और फ़ासले सोच समझ कर कीजिएगा !!
Lokesh Sharma
सामाजिक बहिष्कार हो
सामाजिक बहिष्कार हो
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मुहब्बत है ज़ियादा पर अना भी यार थोड़ी है
मुहब्बत है ज़ियादा पर अना भी यार थोड़ी है
Anis Shah
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
Manoj Mahato
अफ़सोस
अफ़सोस
Dipak Kumar "Girja"
मैं पढ़ता हूं
मैं पढ़ता हूं
डॉ० रोहित कौशिक
समय
समय
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
वृद्धावस्था
वृद्धावस्था
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
शृंगार छंद और विधाएँ
शृंगार छंद और विधाएँ
Subhash Singhai
तुम नग्न होकर आये
तुम नग्न होकर आये
पूर्वार्थ
कैसी होती हैं
कैसी होती हैं
Dr fauzia Naseem shad
हर पन्ना  जिन्दगी का
हर पन्ना जिन्दगी का
हिमांशु Kulshrestha
इस तरह क्या दिन फिरेंगे....
इस तरह क्या दिन फिरेंगे....
डॉ.सीमा अग्रवाल
तन्हाई में अपनी परछाई से भी डर लगता है,
तन्हाई में अपनी परछाई से भी डर लगता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
4326.💐 *पूर्णिका* 💐
4326.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
भक्तिकाल
भक्तिकाल
Sanjay ' शून्य'
Loading...