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30 Jul 2020 · 1 min read

शहर से गुजर वो पूछेंगे

वो कभी मेरे शहर से गुजरेंगे
हाल मेरा पूछ अपना सुनायेंगे
क्या बीती है हम पर अब तक
पास उनको बिठा फरमायेंगे

वक्त ऐसा जिन्दगी में आया
भ्रमित मन कुछ समझ न पाया
मन्द हो गई गति , थम गये पग
कोरोना का डर ऐसा समाया

वेदना गहन इतनी मिलने की
चाह आतुर पास बैठ लेने की
दर्द अपना कह दूँ तेरा सुन लूँ
जब गुजरेंगे तो पूछ लेने की

तन से तन दूर , मन से मन दूर
हो गये जब स्वप्न मिलन के चूर
बढ़ गई सोशल दूरियाँ इतनी
एक दूजे को लगने लगे हो हूर

वो कभी गुजरेंगे तो पास ठहरेंगे
ठहर कर अधर मुस्कान बिखेरेंगे
प्रानभूमि हो जायेगी तब सिंचिंत
इस ओर से गुजर जब वो मिलेगें

Language: Hindi
78 Likes · 2 Comments · 502 Views
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