शहर मेरा कैसे बढ़े ।
शहर मेरा कैसे बढ़े, रे शहर मेरा कैसे बढ़े।
इधर गड्डे बड़े बड़े, उधर गड्डे बड़े बड़े।
सीधा चलाओ तो पहिया गड्डे में, बचाओ तो अगले से भिड़े।
ऊपर से जो आया पैसा, सरकारी तिजोरी में पड़ा सड़े।
योजनाओं के सब्जबाग बड़े बड़े, विकास के खंबे बस कागजों में गड़े।
ये काम तेरा वो काम तेरा, सारे विभाग आपस में लड़े।
माननीय संभालें अपना बिजनेस, क्यूं वो आफत में पड़े।
जब जनता ही ना जागरूक, सोचे क्यूं चक्कर में पड़े।
पाइपलाइन डालो और भूल जाओ, कौन खोदे मुर्दे गड़े।
फिर से खोदो फिर से डालो, तभी तो मिले नोट बड़े बड़े।
सौ निकले चालीस लगे साठ हवा में गायब, जादूगर हैं भरे पड़े।
क्यूं करे वो विकास का काम, जब वोट झंडे का रंग देख कर पड़े।
शहर मेरा कैसे बढ़े, रेे शहर मेरा कैसे बढ़े।