“शहर में बादल”
” मेरे शहर में आज बादल ये बरस आये है।”
मेरे शहर में आज बादल ये बरस आये है।
ऐसा लगता है आवारा बहक आये है।
मेरे शहर में आज बादल ये बरस आये है।
घनघोर घटाओ ने जब डाल दिया डेरा।
डरने लगा तब तो तेजी से मन मेरा।
छट न जाए कही ये नैना तरस आये है।
मेरे शहर में आज बादल ये बरस आये है।
काली घटाओं से बरसात होने लगी।
अमृत समान बुँदे धरती भिगोने लगी।
खिल गया है मन धरती से महक आये है।
मेरे शहर में आज बादल ये बरस आये है।
बस यही आस है ऐसे ही बरसते रहना।
इन हवाओं के संग यूँ बहकते रहना।
ख़ुशी के दिन जीवन में सहस आये है।
मेरे शहर में आज बादल ये बरस आये है।
@सर्वाधिकार सुरक्षित
मनीष कुमार सिंह ‘राजवंशी’
असिस्टेंट प्रोफेसर
स0ब0 पी0 जी0 कॉलेज
बदलापुर, जौनपुर