शहर का मैं हर मिजाज़ जानता हूं….
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16.5.24
मनसरह मुसद्दस मतवी
मुफ़तइलुन फ़ाइलात मुफ़तइलुन
211221212112
शहर का मैं हर मिजाज़ जानता हूं
किन सरो में है खिजाब जानता हूं
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चाहे जमाना मिरी मिसाल यहाँ
पुर्जा कहाँ है खराब जानता हूं
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खूब कमी आदमी में देख लगा
नस्ल में कितना रुआब जानता हूं
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जान सियासी दबाव दांव यहाँ
रोज चुनावी खिताब जानता हूँ
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रहम नहीं बेवजह करेगा कोई
पढ़ने न देगा किताब जानता हूँ
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लाख छिपा चेहरा कोई अनेक तहों
कौन लगाता नकाब जानता हूं
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साल बड़ी मुश्किलों से बीत सका
हर किसी का उफ जवाब जानता हूं
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग