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18 May 2024 · 1 min read

शहर का मैं हर मिजाज़ जानता हूं….

89….
16.5.24
मनसरह मुसद्दस मतवी
मुफ़तइलुन फ़ाइलात मुफ़तइलुन
211221212112

शहर का मैं हर मिजाज़ जानता हूं
किन सरो में है खिजाब जानता हूं
#
चाहे जमाना मिरी मिसाल यहाँ
पुर्जा कहाँ है खराब जानता हूं
#
खूब कमी आदमी में देख लगा
नस्ल में कितना रुआब जानता हूं
#
जान सियासी दबाव दांव यहाँ
रोज चुनावी खिताब जानता हूँ
#
रहम नहीं बेवजह करेगा कोई
पढ़ने न देगा किताब जानता हूँ
#
लाख छिपा चेहरा कोई अनेक तहों
कौन लगाता नकाब जानता हूं
#
साल बड़ी मुश्किलों से बीत सका
हर किसी का उफ जवाब जानता हूं
#
सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग

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