शहरों के हालात
शहरो मे भीड़ बहुत है,
हर कोई यहां अकेला है।
सुविधाएं यहां बहुत है,
फिर भी जान को झमेला है।।
शहरो में शोर बहुत है,
पर आदमी है मौन खड़ा।
ऊंचे ऊंचे भवन बहुत है,
फिर भी झोपड़ी में है पड़ा।।
शहरो में आय बहुत है,
फिर भी जेबें है खाली।
ऊपर की दमक चमक है,
अंदर है बिलकुल खाली।।
शहरो में भाग दौड़ बहत है,
किसी के पास समय नहीं।
व्हाट्सएप पर बाते करते है,
मिलने का यहां समय नहीं।।
शहरो में मकान बहुत है,
फिर भी रहने को जगह नहीं।
कोई मकान नही है खाली,
किरायदारों की भी कमी नही।।
शहरो में हॉस्पिटल बहुत है,
फिर भी लोग है बीमार पड़े।
कोई हॉस्पिटल नही है खाली,
जीवन यापन के लाले है पड़े।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम