शहनाई की सिसकियां
पूछतीं मुझसे
सिसकियां
शहनाई की
मैं क्या करूं
तेरी यादों की
परछाई की…
(१)
मेरे ख़्वाब
इस क़दर
टूटकर बिखरे
इसमें ज़रूर
कोई साज़िश है
खुदाई की…
(२)
मुझसे तो ख़ैर
प्यार भी
नहीं हो पाया
हाय, पता नहीं
तूने कैसे
बेवफ़ाई की…
(३)
तुझे मुबारक
सेज वह
फूलों वाला
मेरे हिस्से में
रात आई
तनहाई की…
(४)
उम्र भर
मुझको नहीं
सोने देगी
अब लगता है
शाम यह
जुदाई की…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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