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15 Nov 2022 · 1 min read

शशि शीतकर

आसमान मे भरी चांदनी
हंसता है आकाश रातभर
दौड लगाता शशि शीत रात मे
कर्म कर रहा जाग जागकर
सजग सुनहरा आसमान है
पर सन्नाटा है निशीथ मे।
सुबह के आने तक दौडा है
मुस्काता है अपनी जीत मे
औषधि के हे जीवन दाता
उपमा देते रहे गीत मे।
धन्य हो रहा नभ धरा भी
मुदित रहा चकोर प्रीत मे
शीतलता के गुण महान है
सफलता का मूल प्रान है।
सिर पर शिव धारण करते है
चन्द्रशेषर शिव भगवान है।।

Language: Hindi
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