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1 Jun 2017 · 1 min read

शर्म

हाइकु

शरम/शर्म

पर्दा न कर,
शर्म आंखों की काफी
खुद से डर।

मन बांवरा
शरम छोड़कर
रहा मचल।

शरम हया
बस नाम के बचे
कहते लोग।

बनते नेता
शरम बेचकर
जनभक्षक।

कहें किससे
बेशर्म सियासती
लूटते देश।

नहीं आंखों में
शरम रह गई
बस है धोखा।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 214 Views
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