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6 May 2024 · 1 min read

शर्माती हुई जब वो बगल से चली जाती है

शर्माती हुई जब वो बगल से चली जाती है,
झिझक से मेरी जान निकल सी जाती है!!

तेरा यूं शर्माना हमें जगाता रह गया शब भर,
नज़रे मिलते ही ज़िंदगी जैसे थम सी जाती है!!

कयामत की खुबसूरत बलाओं सी वो सुरोश हो तुम,
नौनिहाल-ए-चमन में चिलमन जैसे बिखर सी जाती है!!

रास आती है दिल बहलाने की ये नई सी तफ़्तीश,
बड़े तपाक के साथ मेरी जानां मिल सी जाती है!!

ऐ गुलबदन! प्यार से गुजर जाओ यूं मेरी ज़िंदगी से,
अर्जे-मतलब से जिंदगी की कहानी बदल सी जाती है!!

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

Language: Hindi
22 Views
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