शर्मनाक हरकत
दर्द की दास्तान देख देख
चंचल चर्चित चैनलों पर
निराशा की नदी में
आध्यात्मिक बौद्धिक पंडितों के
संस्कारित मन डूब गए
दामिनी के दर्द से दुखी
कलमकारो की असंख्य लखनी
आक्रोश के अंगारे आज भी उगल रही है
अतीत और भविष्य के केंद्र में
अपराध की क्रूरतम स्मृति
जगा गई व्यवस्था परिवर्तन की
आगामी उम्मीदे