शर्त
शर्त
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‘शर्त है मैं तुझसे पहले घर पहुँचूंगी।फिर तुझे पिक्चर दिखानी होगी मुझे’ ऐसा कहते हुए खिलखिलाकर ऋचा स्कूटी दौड़ाने लगी। मैं भी उसके साथ साथ चलने लगी।दसवीं में साथ साथ पढ़ते थे हम।दोनों अपनी ही धुन में जा रहे थे उधर सामने से दो मोटर साईकल भी बहुत तेजी से आ रही थी। दो किशोर ही चला रहे थे शायद वो भी रेस कर रहे थे । हम चारों की एक दूसरे से बुरी तरह भिड़ंत हो गई ।मैं थोड़ा दूर थी तो टक्कर जोर से नहीं लगी । बस वहीं गिर गई ।पर ऋचा उछल कर सड़क की रेलिंग से टकराई । उसका सर फट गया था । एक लड़का सड़क पर ही गिरा पर पीछे से तेजी से आ रहे वाहन ने उसे कुचल दिया । दूसरे लड़के के सर से भी खून बह रहा था । मैं सड़क पर पड़ी सब देख रही थी पर उठ नहीं पा रही थी। फिर बेहोश हो गई। जब होश आया तो अस्पताल में थी। पता चला ऋचा की भी वहीं पर मृत्यु हो गई। उफ्फ कैसी शर्त थी ये ,ज़िन्दगी ही हार गई….
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद