शर्त मगर इतनी है वो भी
हिम्मत वाला निकल आता है
कितना भी गहरा दलदल हो
शेर तो शेर ही होता है
पिंजरा हो या जंगल हो
छीन तो लूँ दुनिया से उसे
रखता हूँ वो दीवानापन
शर्त मगर इतनी है वो भी
प्यार में मेरे पागल हो
थोड़ी उदासी चेहरे पर हो
थोड़े आँखों में आंसू
चाह यही है मेरी खातिर
वो भी ज़रा सी बेकल हो
मैं तो टकराता रहता हूँ
साहिल पे समंदर के जैसे
इश्क़ में उसके खुद को डुबो दूँ
थोड़ी उधर भी हलचल हो
जाऊं जब इस दुनिया से
इतनी ही ख्वाहिश मेरी
हाथ में उसका हाथ रहे
और सर पे उसी का आँचल हो