शर्तों पे आधारित प्यार….
शर्तों पे आधारित प्यार….
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प्यार के देखे हमने रंग हज़ार !
ना कभी देखा शर्तों पे आधारित प्यार !
ईश्वर ना बनाएं कभी ऐसे ऐसे यार !
जो थोपे सदा शर्तों पे आधारित प्यार !!
प्यार तो वो होता जो भावनाओं को समझे !
साथी के इक दरस को जो हर पल सदा तरसे !
मीठे अपने बोल से हर ग़म को दूर कर दे !
बात-बात में न अपनी शर्तों को इसमें रखे !!
जब तक होश अपने ना खो लें वो प्यार कहाॅं !
जहाॅं त्याग समर्पण का ना हो अर्पण वो प्यार कहाॅं !
फ़िक्र जब तक ना हो अपने दोस्त की वहाॅं प्यार कहाॅं !
प्यार तो वो दीवानगी है जिसमें खुद की स्वार्थ कहाॅं !!
प्यार को ज़बरदस्ती खरीदा नहीं जा सकता !
यह नैसर्गिक है और सदा नैसर्गिक ही रहता !
परस्पर भावनाओं की कद्र से यह स्वयं ही उत्पन्न होता !
इसमें थोपा गया कोई नियम-कानून काम नहीं करता !!
पर अफसोस कि आज के प्यार में स्वार्थ छुपा रहता !
प्यार को जरूरतें पूरी करने का साधन समझा जाता !
ऐसी स्थिति में प्यार कम, समझौता ही ज़्यादा होता !
बस सांसारिक चिंता में घूट घूट के जीवन जिया जाता !!
प्यार ऐसा हो जो मन में एक उमंग, तरंग भर दे !
प्यार ऐसा हो जो ख्यालों को अनंत सपनों से भर दे !
प्यार ऐसा हो जो अंत: को आत्मविश्वास से भर दे !
प्यार ऐसा हो जो मुश्किल सा काम आसान कर दे !!
सुकूं भरे इक पल निकालकर करें अपनों का दीदार !
अरमान सबके खुद पूरे होंगे ना करें कभी तकरार !
ज़िंदगी का सफ़र लंबा है, ऐसे अवसर आएंगे हज़ार !
कुछ भी हो जाए ना करें कभी शर्तों पे आधारित प्यार !!
_ स्वरचित एवं मौलिक ।
© अजित कुमार कर्ण ।
__ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : १४/०६/२०२१.
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