शर्तों पर ज़िन्दगी
आग सुलगती रहे तो ठीक है,
ज़ज़्बात उफनते रहें तो ठीक है,
जिंदगी का क्या ठिकाना! या रब!
शर्तों पर ही सही, चलती रहे तो ठीक है!!
आग सुलगती रहे तो ठीक है,
ज़ज़्बात उफनते रहें तो ठीक है,
जिंदगी का क्या ठिकाना! या रब!
शर्तों पर ही सही, चलती रहे तो ठीक है!!