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24 Aug 2020 · 3 min read

शरीफ़ आदमी

एक बार मैं अपनी मोटरसाइकिल के पहिए में हवा भरवाने के लिए एक पंचर बनाने वाली दुकान के सामने रुक गया । उस दुकान के मध्य में एक स्टूल पर करीब 75 वर्षीय वृद्ध बैठा हुआ था तथा उसकी दुकान में एक करीब 10 साल का लड़का कुछ काम कर रहा था । मैंने वहां रुक कर उससे कहा कि मेरी मोटरसाइकिल के पहियों में हवा जांच कर भर दीजिए ।उस वृद्ध ने मेरी बात सुनकर उस बच्चे से मेरी मोटरसाइकिल में हवा भरने के लिए कहा , परंतु वह बच्चा उसको पूर्व में दिए गए आदेशानुसार पहले दुकान के बीच में रखे एक बड़े से टायर को लुढ़का कर दीवार से टिकाने में लग गया फिर उसने पंचर टेस्ट करने वाली पानी से भरी नांद को एक किनारे सरकाया फिर अन्य बिखरे हुए सामान जैसे कैंची सलूशन का ट्यूब आदि को समेट कर एक डिब्बे में रखने लगा । वह बच्चा इतनी कम उम्र में अपनी पूरी लगन से इस कार्य को करने में जुटा था । मैं भी हवा भरवाने के लिए चुपचाप धैर्य पूर्वक प्रतीक्षा कर रहा था । इस बीच वह वृद्ध उस बालक की हरकतों को घूर रहा था । फिर वह वृद्ध अचानक स्टूल से उठा और यह कहते हुए कि
‘ देखता नहीं है सामने इतनी देर से हवा डलवाने के लिये एक शरीफ आदमी खड़ा है ‘
और इतना कहते हुए उसने उस बालक के मासूम , मुलायम गाल पर एक ज़ोरदार थप्पड़ जड़ दिया ।
वह बच्चा इस थप्पड़ की चोट से बिलबिला के रह गया । और सुबकते हुए उसने मेरी मोटरसाइकिल में हवा भर दी ।
इस घटना को देखकर मेरा मन खिन्न हो गया । मैंने अपना चेहरा मोटरसाइकिल के रियर व्यू दर्पण में देखा और सोचने लगा कि आज मेरी शराफत की वजह से यह बच्चा पिट गया । एक बार मुझे अपनी शरीफ सी दिखने वाली छवि पर अफसोस हुआ ।
वह बच्चा इस उम्र में पढ़ने के लिए किसी स्कूल में ना जाकर अपनी जिंदगी की पाठशाला में पंचर की दुकान का कारोबार सीख रहा था , और शाम तक इस कार्य से कम से कम ₹50 कमाकर अपने परिवार के भरण पोषण में इसी उम्र से अपना योगदान करने में लगा था । मैं इस पंचर जोड़ने की कला को दो पीढ़ियों के फासले के बीच हस्तांतरित होते हुए देख रहा था जो किसी विद्यालय के पाठ्यक्रम में सामान्यतः नहीं पढ़ाई जाती है और ना ही कोई स्नातक होकर इस आवश्यक रोज़गार को अपनाता है । वह बालक अपनी उम्र के प्रथम चरण और वह वह वृद्ध अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव पर समाज में पंचर जोड़ने की सेवा को निर्विकल्प रूप से प्रदान कर रहे थे । यह भी एक विडम्बना थी कि अपनी पिछली तीन पीढ़ियों से निरंतर यही पंचर जोड़ते रहने के बावज़ूद उनका सामाजिक एवम आर्थिक स्तर यथावत था ।
ऐसे ही अन्य रोजगार जैसे चाय की दुकान सब्जी वाला , घरों में काम करने वाले या उद्योगों जैसे कालीन , पीतल आदि में ऐसे बालपन का उत्पीड़न एवम शोषण हो रहा है । इसे रोकने के लिए प्रावधान होने के बावजूद हम नित्य प्रायः बाल शोषण की घटनाएं देखते हुए नजरअंदाज कर आगे बढ़ जाते हैं । सामाजिक चेतना के अभाव में ऐसे बाल शोषण को रोकने के लिए बनाए गए प्रावधान उतने प्रभावी नहीं दिखते ।

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 2 Comments · 382 Views
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